चलो चले हम भी उड़कर, बादलों के पार, करने जीवन से अभिसार। चलो चले हम भी उड़कर, बादलों के पार, करने जीवन से अभिसार।
बहती नदी की है यह धारा,जिसने सपनों का पर फैलायाज्यों सागर की नीली गहराई,उतनी लहरों की तनहाई| बहती नदी की है यह धारा,जिसने सपनों का पर फैलायाज्यों सागर की नीली गहराई,उतनी लहर...
सूरज की किरण...। सूरज की किरण...।
तारों की रोशनी के बारे में एक कविता...। तारों की रोशनी के बारे में एक कविता...।
जब "अपने" घर पहुंचेगी अपने...! जब "अपने" घर पहुंचेगी अपने...!
मोम के कोमल पंख लगाकर मैं क्यों सूरज को छूना चाहता हूँ ? मोम के कोमल पंख लगाकर मैं क्यों सूरज को छूना चाहता हूँ ?